कोल्ड स्टोर की छत गिरी
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संभल के चंदौसी में शीतगृह के मलबे में जान गंवाने वाला 22 वर्षीय रोहताश पिछले पंद्रह दिन से यहां काम कर रहा था। बृहस्पतिवार सुबह घर से निकलने से पहले उसने अपने बड़े भाई अजय पाल से कहा था कि आज काम खत्म हो जाएगा। कल से घर में रहूंगा। कुछ दिन बाद ही दूसरे काम की तलाश की जाएगी। रोहताश के इन अंतिम शब्दों को परिजन बार बार याद कर रो रहे हैं।
चंदौसी के एतोल गांव निवासी रोहताश के पिता भूरे किसान हैं। परिवार में इनके अलावा बड़ा भाई अजय पाल फैक्टरी में नौकरी करता है जबकि छोटा भाई हरेंद्र पढ़ाई कर रहा है। मां रामा देवी है। अजय पाल ने बताया कि रोहताश पंद्रह दिन से शीतगृह में बोरियों में आलू भरने का काम रहा था। बोरियों के हिसाब से ही उसे भुगतान मिलता था।
अजय ने बताया कि सुबह आठ बजे घर में तीनों भाई, मां और पिता मौजूद थे। इसी दौरान रोहताश काम पर जाने की तैयारी कर रहा था। तब रोहताश ने कहा था कि शीतगृह में आज काम खत्म हो जाएगा। कल से घर में रहूंगा। कुछ दिन आराम करने के बाद ही अगले काम की तलाश की जाएगी। इसी दौरान गांव के अन्य मजदूर आ गए और वह उनके साथ चला गया था।
चार घंटे में निकाला गया रोहताश, तब तक थम चुकी थीं सांसें
अजय पाल ने बताया कि हादसा सुबह ग्यारह बजे हुआ था। कुछ ही देर बाद इसकी जानकारी मिल गई थी। इसके बाद गांव के अन्य लोगों के साथ हम भी मौके पर पहुंच गए थे। तब तक पुलिस भी पहुंच चुकी थी लेकिन भाई को ढूंढने में चार घंटे लग गए। दोपहर बाद करीब तीन बजे रोहताश को मलबे से बाहर निकाला गया। तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं। फिर भी जिंदगी की आस में हम उसे अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया।