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69000 शिक्षक भर्ती में हाई कोर्ट में सुनवाई: सिंगल बेंच के आदेश का अनुपालन कराया जाए; आरक्षण के कैटगरी की सूची अपलोड की जाए


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लखनऊ2 घंटे पहले

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69000 सहायक शिक्षक भर्ती भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले को लेकर आज लखनऊ हाई कोर्ट की डबल बेंच में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जिसमें जस्टिस राजन राय एवं जस्टिस मनीष कुमार ने आज अपने तीखे तेवर दिखाते हुए। सरकार को आड़े हाथों लिया और सरकार से स्पष्ट पूछा कि सिंगल बेंच ने इस भर्ती की मूल चयन सूची को अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटागरी, कैटागिरी एवं जन्म तिथि में बनाकर इसे साइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए है।

साथ ही साथ लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने यह भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि इसमें आरक्षित वर्ग ओबीसी को 27% , एससी वर्ग को 21% एवं एसटी वर्ग को 2% आरक्षण जो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को संविधान द्वारा दिए जाने का प्रावधान है। वह इस भर्ती में पूरा आरक्षण दिखाया जाए एवं इस भर्ती की बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 के अनुसार कितने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग की गई है। कितने अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग नहीं कराई गई है।

वह भी दिखाई जाए तथा लखनऊ हाई कोर्ट के 13 मार्च 2023 को दिए गए आदेश को 2 महीने से ऊपर का समय बीत गया है। लेकिन सरकार ने अभी तक क्या किया? जस्टिस राजन राय एवं जस्टिस मनीष कुमार ने सुनवाई की बहस के दौरान सरकार से यह भी पूछा कि सिंगल बेंच के आदेश के तहत इस प्रक्रिया में आपने अभी तक क्या किया और आपका इसमें अगला कदम क्या होगा?

लखनऊ हाई कोर्ट के जस्टिस राजन राय ने स्पष्ट तौर पर सरकार से कहा कि हम इस भर्ती में हुए आरक्षण घोटाले को लेकर इस मामले को जल्द निपटाना चाहते हैं ऐसी स्थिति में सरकार हमें स्पष्ट तौर पर यह बताएं कि सरकार अब इस भर्ती की मूल चयन सूची को लेकर क्या करने जा रही है ?

कोर्ट आज बहुत ही तल्ख तेवर में थी और वह आज सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता संजय भसीन एवं सीएससी रणविजय सिंह के जवाब से असंतुष्ट दिखाई दी क्योंकि सरकार आज अपना कोई भी जवाब कोर्ट के समक्ष नहीं रख पा रही थी इस पर नाराज होते हुए जस्टिस राजन राय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हाईकोर्ट की गर्मियों की छुट्टी होने वाली है ऐसी स्थिति में इन आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को जो कोर्ट में आए हुए हैं। इनको कैसे न्याय मिलेगा और आप इन पीड़ित अभ्यर्थियों को जो कोर्ट में अपने न्याय के लिए आए हुए हैं। इन्हे कैसे न्याय दे पाएंगे। इस संबंध में हमें सरकार का लिखित में जवाब चाहिए कि आप इस लिस्ट को लेकर अब क्या करेंगे? कोर्ट ने यह कहकर मामले की अगली सुनवाई 29 मई को लगा दी। सरकार को आज की सुनवाई में स्पष्ट निर्देश दिया कि हमें अगली 29 मई की होने वाली सुनवाई में सरकार का स्पष्ट रुख लिखित में बताना होगा। अगर 29 मई की होने वाली सुनवाई में सरकार द्वारा मूल चयन सूची को लेकर तथा आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को कैसे न्याय दिया जाएगा। इसको लेकर अगर लिखित में जवाब देकर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया। तो हम आगामी 29 मई को होने वाली सुनवाई में लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के 13 मार्च 2023 को दिए गए फैसले पर पूरी तरह से स्टे लगा देंगे।

कोर्ट में आज हुई सुनवाई में जस्टिस राजन राय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जो आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी अपने न्याय के लिए कोर्ट की शरण में आए हुए हैं। यदि इन्हें न्याय हमारी तरफ से नहीं दिया जाएगा तो आखिर इन्हे न्याय कौन देगा, इस पर कोर्ट ने पूरी तरह से आज स्पष्ट कर दिया कि सरकार 29 मई को होने वाली सुनवाई में अपना रुख पूरी तरह से आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय देने के संबंध में स्पष्ट करें अन्यथा की स्थिति में इन आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को हमारी तरफ से नया दिया जाएगा।

पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट सुशील कश्यप एवं प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह यादव का स्पष्ट तौर पर कहना है कि आज कोर्ट पूरी तरह से आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को न्याय देने के पक्ष में थी लेकिन आज सरकार लखनऊ हाई कोर्ट की डबल बेंच में पूरी तरह से मौन रही और सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब कोर्ट को नहीं दिया जा सका। अब हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तिथि 29 मई को लगाई है। ऐसी स्थिति में आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का पूरी तरह से प्रयास रहेगा कि उन्हें अगली सुनवाई में कोर्ट के माध्यम से न्याय मिल सके। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी का कहना है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण की जगह मात्र 3.80% ही आरक्षण दिया गया है ठीक इसी प्रकार एससी वर्ग को 21% की जगह सिर्फ 16.2% ही आरक्षण दिया गया है जो पूरी तरह से गलत है। इस प्रकार सरकार ने इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन कर इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला किया है और यही कारण रहा कि प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची बनाई जाती है। जिसमें भर्ती पारदर्शिता के साथ प्रतीत होती है लेकिन सरकार ने इस भर्ती की मूल चयन सूची ना बनाकर इस भर्ती को जिला आवंटन सूची पर संपन्न कर दिया। जिसमें अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी, सब कैटिगरी एवं जन्मतिथि आदि को छुपा लिया गया जो पूरी तरह से गलत है।

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