संभल कोल्ड स्टोरेज की छत गिरी, दबे लोगों की तलाश करते कर्मी
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शीतगृह हादसे ने कई जिंदगी खत्म कर दीं तो कई परिवारों को ताउम्र के लिए ऐसे जख्म दे दिए। जिन्हें भरने में सालों बीत जाएंगे। इन सब के बीच मजदूर नरोत्तम खुद को खुशनसीब समझ रहा है। जिस वक्त शीतगृह की छत गिरी।
उससे बमुश्किल तीस सेकेंड पहले ही नरोत्तम अपने साथी मजदूरों से ये कहकर निकला था कि टाॅयलेट जा रहा हूं और एक मिनट में आ जाऊंगा। इसी दौरान हादसा हो गया और उसकी जिंदगी बच गई।
बदायूं के फैजगंज बहटा थानाक्षेत्र के बझेड़ा गांव के सोमपाल व नरोत्तम भी शीतगृह में काम कर रहे थे। दोनों सुबह नौ बजे काम पर पहुंचे थे। दोपहर करीब ग्यारह बजे तक यहां आलू की बोरियां रखी जा रहीं थीं।